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Poem~इसलिए वक्त रहते हीं, हमसब बन जाएँ इंसान, और इंसानियत को हीं अपना लें, समझकर अपना धर्म।


इस संकट घड़ी में भी, आज सोसल मीडिया पर, कोरोना प्रकोप के  साथ-साथ हिन्दू-मुस्लिम पर भी चर्चे बहुत हो रहे हैं। कुछ मुस्लिम भाई गलत फेहमी का शिकार हो चुके हैं और कुछ हिन्दू भाई भड़क कर सभी मुसलमानों को गलत बता रहे हैं। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए, सार्थकता के साथ मैंने एक कविता लिखा है, जिससे हमसभी देशवासी एक होकर, अपने देशहित के कार्य करने में सक्षम रहें।
             💓कृप्या! एक बार जरुर पढें 🙏
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हिन्दू ने मुस्लिम को मारा,
मुस्लिम ने हिन्दू को मारा। 
देखो धर्म के नाम पर,
इंसान ने हीं इंसान को मारा।
सिर्फ ये सच नहीं!
सच तो ये है कि,
इंसान ने इंसानियत को मारा।
भाई ने भाई को मारा,
दोस्त ने दोस्त को मारा।
देखो मोह और लालच के खातिर,
अपने हीं अपनों को मारा।
सिर्फ ये सच नहीं!
सच तो ये है कि,
इंसान ने हर रिश्तों को मारा।
आज इस संकट में,
कुछ मुस्लिम भाई कहते हैं।
ये कोरोना कोई वायरस नहीं!
मेरे अल्लाह का भेजा इंसाफ है,
हमें न्याय दिलाने आया है।
सिर्फ ये सच नहीं!
सच तो ये है कि,
ना ही तेरे लिए,
तेरे अल्लाह ने भेजा,
और ना ही मेरे लिए,
मेरे भगवान ने भेजा इसे।
अगर भेजा भी होगा तो,
सिर्फ इंसानियत को बचाने,
सृष्टिकर्त्ता ने भेजा होगा इसे।
जो तेरा अल्लाह भी है और मेरा भगवान भी।
इस कोरोना के आड़ में,
मत कर कोई ऐसा काम तु हे इंसान!
जिससे इंसानियत हो जाए और अधिक बदनाम।
फिर ना तू बचेगा और ना हम बचेंगे।
बच जाएगा सिर्फ,
तेरे सफेद कुर्ता वाले हैवान और मेरे सफेद कुर्ता वाले हैवान।
इसलिए वक्त रहते हीं,
हमसब बन जाएँ इंसान।
और इंसानियत को हीं अपना ले,
समझकर अपना धर्म।
तो फिर एक साथ मिलकर,
तेरे अल्लाह और मेरे भगवान,
मिटा देंगे हर हैवानों का नामो-निशान,
और कर देंगे हर इंसानों का कल्याण।
इसलिए वक्त रहते हीं,
हमसब बन जाएँ इंसान,
और इंसानियत को अपना ले,
समझकर अपना धर्म।
🙏🙏🙏💞Jay Hind💞🙏🙏🙏
  🙏🙏🙏Jay💞Bharat🙏🙏🙏

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आयें जाति-धर्म से दूर हटकर, अपनी एक पहचान बनाएँ। मानवता हीं है धर्म हमारा, मानवता हीं है संस्कार हमारा। मानवता से बड़ा ना कोई धर्म हमारा, मानवता से बड़ा ना कोई संस्कार हमारा। आयें हमसब मिलकर एक आवाज उठाएँ! हिन्दु-मुस्लिम, सीख-ईसाई, सब के सब हैं हम, मानव के वंशज। आयें जाति-धर्म से दूर हटकर, अपनी एक पहचान बनाएँ।